लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (8)
दोनों कोलेज पहुंची तो राहुल पहले से ही उनका इंतजार कर रहा था।
राहुल- कितनी देर कर दी तुम दोनों ने......। हैड सर कबसे तुझे भुला रहे हैं रश्मि।
रश्मि अलका का हाथ पकड़ते हुए :- अलका चल हम पहले सर से छुट्टी की बात कर लेते हैं...।
राहुल चौंकते हुए.. छुट्टी....! क्या मतलब??
रश्मि अपनी हथेली सर पर रखते हुए... ओह! सॉरी राहुल हमने तुझे अभी तक बताया ही नहीं.....। अभी तु हमारे साथ चल पहले ......फिर तुझे आराम से बताते हैं....।
राहुल- ओके, लेकिन बात क्या हैं....तुम दोनों इतनी जल्दी में क्यूँ हो....।
वो सब बाद में बताते हैं अभी तु चल हमारे साथ...।
अलका बोली..।
ओके.... चलो....।
तीनों सर के केबिन में पहुंचे।
मे आई कम इन सर.....। रश्मि ने कहा।
ओह, रश्मि......कम इन।
तीनों भीतर आए तो रश्मि ने कहा.:- सर आई एम सॉरी बट मैं अभी खेल महोत्सव में हिस्सा नहीं ले पाउंगी, और शायद 10-15 दिन कालेज भी नहीं आ पाउंगी। मुझे लीव परमिशन चाहिए.....।
व्हाट.......ये तुम क्या कह रही हो......!! कालेज को इस वक़्त तुमसे कितनी उम्मीदें है......। ऐसे में अचानक ये सब।......आई कांट बिलीव दिस कि तुम ऐसा कह रही हो, जिसे अपने कालेज से इतना लगाव हैं......।
रश्मि-आई नो् सर बट मेरी कुछ मजबूरी है।
हैड सर- ऐसी भी क्या मजबूरी है .....मैं भी तो सुनुं।
अलका- सर......। मुझे और रश्मि को दिल्ली जाना है। रश्मि की ममा के ईलाज के लिए।
ये सुन कर राहुल भी चोंक गया।
हैड सर- व्हाट।। अलका तुम भी जा रही हो.....?
अलका- हां सर......।
ठीक है.......अगर फैमिली कि बात है तो मैं तुम्हें नहीं रोकुंगा......। लेकिन दो महीने बाद एग्जाम होने वाले है उसमें कोई कसर नही छोड़ना.....। मैं तुम दोनों कि लीव एपलिकेशन बना देता हूँ।
रश्मि- थैंक्यु सर.......एंड आई एम रीयली वैरी सॉरी।
हैड सर- इट्स ओके। लेकिन रश्मि तुम्हें अभी कोच सर से भी बात करनी होगी ताकि वो तुम्हारी जगह किसी ओर को दे देवें।
रश्मि- ठीक है सर.....। मैं बात कर लेती हूँ उनसे....।
तीनों आफिस से बाहर आए तो राहुल गुस्से से बोला... :- अच्छी दोस्ती निभा रही हो तुम दोनों.....। इतना सब कुछ तय कर लिया और मुझे पता भी नहीं.....। मुझे ऐसी उम्मीद हरगिज़ नहीं थी तुम दोनों से.....। अभी जब सब कुछ प्लान कर ही लिया है तो मैं यहां क्या कर रहा हूं।
ऐसा कहकर राहुल जाने लगा तो रश्मि ने उसका हाथ पकड़ लिया.....।
राहुल रुक गया.....। उसे ऐसा लगा जैसे वक़्त थम गया हो......। जो हिम्मत उसमें आज तक नहीं आई थीं.... वो रश्मि ने कर दिया था.....।
रश्मि ने बड़े प्यार से कहा..:- राहुल प्लीज पहले हमारी पूरी बात तो सुन लो.....प्लीज...। उसके बाद तुम्हें लगे कि हमने कुछ गलत कर लिया है तो सजा भी दे देना.....।
राहुल मुड़ा पर कुछ बोल नही पाया। वो बस रश्मि को देखे जा रहा था। उसका हाथ अभी भी रश्मि ने पकड़ा हुआ था।
अलका ने राहुल को ऐसे देखा तो वो जोर से बोली.. राहुल कहाँ खो गए। चले या इधर ही खड़े रहना है।
राहुल चोंक कर बोला.. चलो.....। बाहर पार्क में बैठ कर बातें करते हैं।
तीनों पार्क कि ओर चल दिए। वहां जाकर रश्मि ने राहुल को सारी बातें बताई।
फिर अलका ने राहुल से कहा.. राहुल तुम हमारे पीछे प्लीज अंकल का ख्याल रखना।
राहुल.. ये भी कोई कहने वाली बात हैं....। तुम दोनों बस वहां सब संभाल लेना और मुझे इन्फार्म करती रहना। यहां अंकल कि टेंशन मत करना और मैं तुम्हें कालेज के नोट्स भी भेजता रहुंगा। वक़्त निकाल कर पढ़ाई भी करतीं रहना।
अलका- थैंक्स राहुल।।
राहुल-बस कर दिया ना फिर से पराया।।
रश्मि- राहुल क्या तुम मेरा एक ओर काम करोगे।
(राहुल मन ही मन सोचते हुए रश्मि तुम्हारे लिए तो मैं अपनी जान भी दे दूं। )
रश्मि फिर से बोली.. करोगे राहुल??
राहुल...:- हाँ.....हाँ.....। बोलो ना.....।
क्या काम करना है।
रश्मि:- राहुल जब तक हम वापस नहीं आतें क्या तुम मेरी ट्युशन क्लासेस संभाल सकते हो, क्योंकि बच्चों के भी एग्जाम आने वाले है। ऐसे में मेरी वजह से उनकी पढ़ाई का नुकसान हो जाएगा।
ठीक है रश्मि....। मैं हैंडल कर लुंगा। तुम बस उनके पेरेंट्स से बात करके जाना, ओर खबरदार जो तुने भी अभी अलका की तरह थैंक्स बोला तो......।
नहीं राहुल मैं थैंक्स नही बोलुंगी।
रश्मि ने हंसते हुए कहा।
इतना कहकर रश्मि उठी और उसने अलका से कहा:- मेरे साथ चल मुझे कोच सर से भी तो बात करनी है।
अलका ने कहा.. :- रश्मि तु जाकर आ। मुझे तो जोरों कि भूख लगी हैं मै तो चली कैंटीन.....।
राहुल तु चल रहा है।।
राहुल- नहीं यार.....मुझे तेरा वो खड़ूस कोच बिल्कुल पसंद नहीं हैं...।तु जा मैं तो चला लैक्चर अटेंड करने....। बाय।
ऐसा कहकर राहुल तो वहाँ से चला गया...। रश्मि ने अलका से फिर से चलने को कहा लेकिन अलका भी मना करके कैंटीन की ओर जातें हुए बोलीं :- . भूख के मामले में थोड़ी सेल्फिश हो जाती हूं डियर......। तु बात करके आ मैं कैंटीन में तेरा वैट कर रही हूं......बाय....।
रश्मि सोच में पड़ गई। वो मन ही मन बोली......ओह नो ये दोनों तो चले गए.....। अब मैं अकेले वहां....। पता नहीं कोच सर के बारे में सोचते ही मेरी हार्ट बीट इतनी फास्ट क्यूँ हो जाती है.....। अजीब सा अहसास होता है...। क्या करूँ अभी....। कुछ सोच रश्मि कुछ सोच.....। इस अलका से भी इस बारें में बात ही नहीं हो पाती.....। क्या करूँ अभी...।
कुछ देर बाद मन ही मन बोली :- चल हिम्मत करके जाती हूँ। मैं उनकी तरफ़ देखुंगी ही नहीं....। ये ठीक रहेगा....। देखती हूँ तो हार्ट बीट बढ़तीं हैं ना देखुंगी ही नहीं..... इस बार...।
ऐसा सोचते हुए वो ग्राउंड में आई.....। काफी दुर से उसे सर प्रैक्टिस कराते हुए दिखे। उसने अपनीं नजरें नीची कर ली ओर उस ओर जाने लगी.....। जैसे जैसे वो पास आ रही थी उसकी धड़कने बढ़ रही थी। वो अपनी उंगलियों में अपने दुपट्टे को बार बार लपेटते हुए नजरें झुकाते हुए आगे आती गई।
थोड़ी दुरी पर ही थी कि रोहित उल्टे कदम लेकर पीछे आ रहा था....कि वो अचानक पीछे से आ रही रश्मि से टकरा गया....।रश्मि का भी ध्यान नही था ......क्योंकि वो नजरें झुका कर चल रही थी.....। दोनों आपस मे टकराते ही गिर पड़े। रोहित रश्मि के बिल्कुल पास में था। रोहित का चेहरा रश्मि के चेहरे के बिल्कुल पास था.....। दोनों एक दुसरे को बिना पलक झपकाए देखें जा रहे थे। तभी वहाँ प्रैक्टिस कर रहे दुसरे स्टुडेंट्स आए ओर बोले.. :- सर आप ठीक है।।
रोहित ओर रश्मि आवाज सुन कर हड़बड़ाते हुए उठ गए।
रोहित ने उठ कर थोड़ी तेज़ आवाज में रश्मि को कहा.. :- कौन सी धून में चलती हो....। देख कर नहीं चल सकती। भगवान ने आंखें आगे की जगह पीछे दे दी हैं क्या.... जब देखो गिरती पड़तीं रहतीं हो....।
रश्मि हड़बड़ाते हुए सर वो मैं... वो मुझे.. वो..
रोहित बीच में टोकटे हुए...:- तुम्हारी ये मैं.. ये वो .....वाली भाषा मुझे समझ नहीं आती। साफ साफ बोलो...।
रोहित कि बात सुनकर पास में खड़े सभी स्टुडेंट्स मुस्कुराने लगे।
रोहित ने सबको वहां से जाने को कहा:- जाओ जाकर सब अपनी प्रैक्टिस करो।
सभी वहां से चले गए।
रोहित- अब बोलो, ध्यान कहा था तुम्हारा और इतनी देर से कैसे आई हो.....। मैंने कल ही कहा था कि समय पर आ जाना।
रश्मि अभी भी बुत बनकर खड़ी थी, उसके मुंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी। वो नजर उठा कर रोहित को देख भी नहीं पा रही थी।
रोहित ने फिर कहा.. मै हमेशा के लिए ऐसे खड़ा नहीं रह सकता हूँ। मुझे ओर भी बहुत काम हैं....कुछ बोलोगी।
रश्मि ने हिम्मत करके कहा.. -: सर वो मैं .....बस ये .....बोलने आई थी कि ......अब मैं किसी भी खेल में भाग नहीं ले सकती तो आप मेरी जगह किसी ओर को दे दिजिए।
रोहित.. ओके। आई नो.....मुझे सर का काल आ गया था। तुम जा सकती हो......।
रश्मि मन ही मन बोलते हुए.. ....पता ही था तो मुझसे क्यों पूछ रहे थे।.....खड़ुस कही का। पता नहीं अपने आप को क्या समझता हैं......। देख कर खुद नही चलतें ओर इल्जाम मुझ पर। पता नहीं मुझे क्या हो जाता हैं सामने आते ही कि.....मैं कुछ बोल नही पाती वरना .....मैं अच्छे से बता देती, कौन गिरा और कैसे गिरा।
रोहित रश्मि कि तरफ मुस्कुराते हुए बोला...:- मुंह से तो आवाज निकलती नहीं है तुम्हारी पर मन मैं बहुत कुछ बोल देती हो.....।
रश्मि घबड़ाते हुए.. जी......। जी......कुछ कहा आपने...।
रोहित.. नहीं.....। तुम जाओ।
रश्मि वहां से बिना नजर उठाए तेज कदमों से कैंटीन की ओर चल दी।
अलका :- कितनी देर लगा दी तुने यार, और ये तुझे इतना पसीना क्यूँ आ रहा है। तु इतनी घबराई हुई क्यूँ है.....। क्या हुआ तेरी तबीयत तो ठीक है ना....।
अच्छा चल पहले ये बता क्या खाएगी!!
कुछ नहीं। अभी जल्दी घर चल मुझे घर पर खाना भी बनाना है मम्मी पापा को भूख लगी होगी। मैं आज नाश्ता भी नहीं बना कर आई हूं।
रास्ते में मुझे बैंक भी जाना है और स्टेशन भी। प्लीज जल्दी चल।
अलका- ठीक है.....ठीक हैं.....चल रहीं हूँ...यार....ये समोसा तो खत्म करने दे....।
वो तु चलते हुए खा लेना यार....अभी प्लीज चल....।
ओके बाबा.... चल....।
अलका समोसा हाथ में उठाएं खाते खाते उसके साथ चल दी....।
ऐसा कहकर दोनों तेज़ कदमों से कोलेज के बाहर आ गई....।
# कहानीकार प्रतियोगिता.....
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दोस्ती और प्यार की अनोखी दास्ताँ....
अगले भाग भी जरूर पढ़ें....।
Babita patel
16-Aug-2023 10:38 AM
Very nice
Reply
Abhinav ji
21-Jul-2023 09:20 AM
Nice
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